सर्वाइकल क्या है? कारण, लक्षण, इलाज और बचाव – पूरी जानकारी
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पीठ, गर्दन और कमर का दर्द एक आम समस्या बन गई है। खासकर ऑफिस में लगातार बैठकर काम करने वालों और मोबाइल-लैपटॉप के अत्यधिक उपयोग करने वालों में यह अधिक देखने को मिलती है। इन्हीं समस्याओं में एक बेहद सामान्य लेकिन गंभीर स्थिति है – सर्वाइकल। यह बीमारी न केवल आपकी रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करती है, बल्कि समय पर इलाज न होने पर स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकती है।
तो चलिए विस्तार से जानते हैं – सर्वाइकल क्या है, इसके लक्षण, कारण, इलाज और बचाव के उपाय।
सर्वाइकल क्या है? (What is Cervical?)
‘सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस’ को आम भाषा में सर्वाइकल कहा जाता है। यह एक प्रकार का डिजेनेरेटिव डिसऑर्डर (degenerative disorder) है, जिसमें गर्दन की हड्डियों, डिस्क, और जोड़ (joints) में धीरे-धीरे घिसाव या बदलाव आने लगता है।
गर्दन में जो रीढ़ की हड्डी होती है, उसे सर्वाइकल स्पाइन कहते हैं। यह हड्डी कुल सात कशेरुकाओं (vertebrae) से मिलकर बनी होती है, जिन्हें C1 से C7 तक चिन्हित किया जाता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस में इन्हीं कशेरुकाओं और उनके बीच मौजूद डिस्क में घिसाव आ जाता है, जिससे दर्द, अकड़न और कई बार नसों पर दबाव पड़ने से हाथों और कंधों में झनझनाहट भी महसूस होती है।
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| गर्दन की हड्डियों पर सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस का प्रभाव |
सर्वाइकल होने के मुख्य कारण
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
1. बढ़ती उम्र – 40 वर्ष के बाद डिस्क में प्राकृतिक रूप से घिसाव शुरू हो सकता है।
2. गलत मुद्रा में बैठना – लगातार झुककर बैठने या गर्दन को झुका कर मोबाइल/लैपटॉप देखने से गर्दन पर दबाव बढ़ता है
3. लंबे समय तक एक ही स्थिति में रहना – जैसे ड्राइविंग, कंप्यूटर पर काम करना।
4. कम शारीरिक गतिविधि – एक्टिव न रहना और एक्सरसाइज न करना।
5. गर्दन में चोट या झटका लगना – जैसे एक्सीडेंट या अचानक गर्दन हिलने से।
6. जेनेटिक कारण – परिवार में किसी को यह समस्या होना।
सर्वाइकल के लक्षण (Symptoms of Cervical)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:
गर्दन में लगातार दर्द या अकड़न
गर्दन को हिलाने-डुलाने में कठिनाई
सिरदर्द, खासकर सिर के पिछले हिस्से में
कंधों और बाहों में दर्द या झनझनाहट
हाथों की उंगलियों में सुन्नपन या कमजोरी
नींद में परेशानी और थकान
चक्कर आना या संतुलन खोना (कुछ मामलों में)
सर्वाइकल की जांच कैसे होती है?
अगर आपको ऊपर दिए गए लक्षण लंबे समय तक महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस की पुष्टि के लिए निम्नलिखित जांच की जाती है:
X-ray – हड्डियों के संरेखण (alignment) और घिसाव देखने के लिए।
MRI Scan – नसों पर दबाव या डिस्क में बदलाव देखने के लिए।
CT Scan – जॉइंट और हड्डियों की संरचना को डिटेल में देखने के लिए।
Neurological Examination – रिफ्लेक्स, मांसपेशियों की ताकत और संवेदनशीलता की जांच।
सर्वाइकल का इलाज (Treatment of Cervical)
सर्वाइकल का इलाज लक्षणों की गंभीरता और मरीज की उम्र व शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। मुख्य रूप से इलाज के तरीके निम्नलिखित हैं:
1. दवाइयां (Medications)
दर्द निवारक (Painkillers) – जैसे पैरासिटामोल या इबुप्रोफेन
मांसपेशियों को शिथिल करने वाली दवाएं (Muscle relaxants)
विटामिन B12 और कैल्शियम सप्लीमेंट्स
2. फिजियोथेरेपी (Physiotherapy)
गर्दन के व्यायाम
ट्रैक्शन थेरेपी
हीट थैरेपी और अल्ट्रासोनिक थेरेपी
3. लाइफस्टाइल में बदलाव
सही मुद्रा में बैठना और चलना
मोबाइल और लैपटॉप का सीमित उपयोग
नियमित एक्सरसाइज
4. होम रेमेडीज (घरेलू उपचार)
गर्म पानी से सिंकाई
हल्दी वाला दूध
मेथी के दाने या अजवाइन का सेवन
5. सर्जरी (केवल गंभीर मामलों में)
अगर नसों पर बहुत ज्यादा दबाव है या मरीज को हाथ-पैरों में कमजोरी आ रही है, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
सर्वाइकल से बचाव कैसे करें? (Prevention Tips)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय कारगर हो सकते हैं:
बैठते समय कमर और गर्दन सीधी रखें।
हर 30-40 मिनट में अपनी पोजिशन बदलें।
मोबाइल को आंखों के समांतर पकड़ें, गर्दन को नीचे झुकाकर न देखें।
तकिया बहुत ऊँचा या बहुत नीचा न हो।
गर्दन और कंधों की नियमित एक्सरसाइज करें
वजन नियंत्रित रखें और स्वस्थ भोजन लें।
योग और सर्वाइकल
कुछ योगासन सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस में बेहद मददगार होते हैं, जैसे:
भुजंगासन (Cobra Pose)
मकरासन (Crocodile Pose)
ताड़ासन (Palm Tree Pose)
अर्धचक्रासन (Half Moon Pose)
गर्दन घुमाने वाले व्यायाम (Neck rotations)
नोट: योग शुरू करने से पहले किसी अनुभवी योग प्रशिक्षक से सलाह जरूर लें।
निष्कर्ष (Conclusion)
सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस एक आम लेकिन गंभीर स्थिति हो सकती है यदि इसे अनदेखा किया जाए। शुरुआती लक्षणों को समझना और समय पर इलाज करवाना बेहद जरूरी है। जीवनशैली में थोड़े से बदलाव और नियमित व्यायाम के ज़रिए आप इससे न केवल बच सकते हैं बल्कि इसे नियंत्रित भी कर सकते हैं।

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