शुक्रवार, 20 जून 2025

टीबी (क्षय रोग): कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के सम्पूर्ण उपाय

टीबी (Tuberculosis): कारण, लक्षण, उपचार और बचाव


परिचय:

टीबी, यानी क्षय रोग, आज भी दुनिया भर में एक गंभीर संक्रामक रोग बना हुआ है। यह बीमारी मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करती है, लेकिन शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकती है। आधुनिक चिकित्सा में उपचार के बावजूद, जागरूकता की कमी और समय पर निदान न होने के कारण यह बीमारी कई लोगों के लिए जानलेवा साबित होती है। इस ब्लॉग में हम टीबी के कारण, लक्षण, निदान, उपचार और बचाव के उपायों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।


टीबी क्या है?

टीबी एक बैक्टीरियल संक्रमण है, जो Mycobacterium tuberculosis नामक जीवाणु के कारण होता है। यह मुख्यतः वायुमार्ग से फैलता है। जब संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या थूकता है, तब हवा में फैले सूक्ष्म ड्रॉपलेट्स के माध्यम से यह रोग दूसरे व्यक्ति तक पहुँच सकता है।

"टीबी के लक्षण और उपचार के उपाय" "टीबी का इलाज
टीबी से बचने के उपाय अपनाएं

टीबी के प्रकार

टीबी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:

1. सक्रिय टीबी (Active TB):

इस अवस्था में रोगाणु सक्रिय होकर शरीर में तेजी से बढ़ते हैं और लक्षण उत्पन्न करते हैं। यह अवस्था संक्रामक होती है।

2. निष्क्रिय टीबी (Latent TB):

इसमें व्यक्ति के शरीर में बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं लेकिन वे सक्रिय नहीं होते। व्यक्ति को कोई लक्षण नहीं होते और यह अवस्था संक्रामक भी नहीं होती। परंतु, अगर प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाए तो यह सक्रिय रूप ले सकती है।


टीबी के कारण

टीबी का मुख्य कारण Mycobacterium tuberculosis बैक्टीरिया है। निम्न कारण टीबी संक्रमण के खतरे को बढ़ा सकते हैं:


संक्रमित व्यक्ति के निकट संपर्क में रहना

कमजोर इम्यून सिस्टम (एचआईवी संक्रमित व्यक्ति, मधुमेह रोगी आदि)

कुपोषण

धूम्रपान

शराब का अत्यधिक सेवन

ग़रीबी व भीड़भाड़ वाले इलाके


टीबी के लक्षण

टीबी के लक्षण बीमारी की अवस्था पर निर्भर करते हैं। सामान्यतः सक्रिय टीबी के लक्षण इस प्रकार हैं:

लगातार दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी

खांसी में बलगम आना (कभी-कभी खून भी आ सकता है)

तेज़ बुखार और ठंड लगना

रात को पसीना आना

वजन घटना और भूख कम होना

थकान और कमजोरी

सीने में दर्द या सांस लेने में तकलीफ


अगर टीबी फेफड़ों के अलावा किसी अन्य अंग में हो तो अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं, जैसे — हड्डियों में दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन, गुर्दे या मस्तिष्क में संक्रमण आदि।


टीबी का निदान

टीबी का सही समय पर निदान बहुत आवश्यक है। इसके लिए निम्न परीक्षण किए जाते हैं:


स्पुटम टेस्ट (बलगम जांच): बैक्टीरिया की पुष्टि के लिए बलगम की जाँच की जाती है।


सीबी-नाट (CB-NAAT) टेस्ट: डीएनए स्तर पर बैक्टीरिया की पहचान करता है और दवा प्रतिरोध भी बताता है।


टीबी स्किन टेस्ट (मांटू टेस्ट)

ब्लड टेस्ट

एक्स-रे और सीटी स्कैन

ब्रॉन्कोस्कोपी (कुछ विशेष मामलों में)


टीबी का उपचार

टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है लेकिन इसके लिए धैर्य और अनुशासन आवश्यक है। टीबी का इलाज लंबा होता है, आमतौर पर 6 से 9 महीने तक दवा लेनी होती है।

भारत में सरकार द्वारा डायरेक्ट ऑब्जर्वड ट्रीटमेंट शॉर्ट-कोर्स (DOTS) कार्यक्रम के तहत मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया जाता है।


टीबी की दवाओं में सामान्यतः निम्न दवाएँ दी जाती हैं:

आइसोनियाजिड (INH)

रिफैम्पिसिन (RIF)

पायराजिनामाइड (PZA)

एथाम्बुटोल (EMB)


महत्वपूर्ण:

पूरा कोर्स समय पर और नियमित रूप से लेना बेहद आवश्यक है।

बीच में दवा छोड़ना या कोर्स अधूरा छोड़ने से दवा प्रतिरोधी टीबी (MDR-TB, XDR-TB) का खतरा बढ़ जाता है जो अधिक जटिल और गंभीर होती है।


टीबी से बचाव के उपाय

टीबी से बचने के लिए सावधानियां बेहद जरूरी हैं:


बीसीजी टीकाकरण: बच्चों को जन्म के समय बीसीजी का टीका लगाया जाता है जो टीबी से सुरक्षा प्रदान करता है।

संक्रमित व्यक्ति को मास्क पहनना चाहिए और भीड़भाड़ से बचना चाहिए।

घर में पर्याप्त वेंटिलेशन रखें।

पोषण युक्त आहार लें जिससे प्रतिरोधक क्षमता मजबूत रहे।

समय-समय पर जांच कराते रहें, खासकर यदि कोई लक्षण दिखे।


भारत में टीबी की स्थिति

भारत में टीबी एक बड़ा स्वास्थ्य संकट बना हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व में सबसे अधिक टीबी के मरीज भारत में हैं। सरकार ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा है। "निक्षय पोषण योजना" जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से सरकार मरीजों को आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है।


सामाजिक कलंक और जागरूकता

अभी भी समाज में टीबी को लेकर कई भ्रांतियाँ और सामाजिक कलंक हैं। लोग इसे छिपाने की कोशिश करते हैं, जिससे इलाज में देर हो जाती है। इसलिए जरूरी है कि टीबी को लेकर समाज में जागरूकता फैलाई जाए और इसे एक सामान्य बीमारी की तरह देखा जाए, जिसका इलाज संभव है।


निष्कर्ष

टीबी एक गंभीर लेकिन पूरी तरह इलाज योग्य बीमारी है। सही जानकारी, समय पर जांच और नियमित उपचार से इस बीमारी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। समाज को भी इस दिशा में सहयोग करना होगा ताकि भारत को टीबी मुक्त बनाया जा सके।

टीबी हारेगा, देश जीतेगा

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