मंकीपॉक्स वायरस: लक्षण, कारण और घरेलू इलाज
आजकल एक नई उभरती हुई बीमारी "मंकीपॉक्स" (Mankypox) ने दुनिया भर में चिंता का विषय बना लिया है। यह बीमारी इंसानों में चेचक जैसी दिखाई देती है और इसके संक्रमण के मामले कई देशों में सामने आ चुके हैं। हालांकि यह बीमारी बहुत पुरानी है, लेकिन हाल के वर्षों में इसके मामले फिर से सामने आना गंभीर संकेत हैं।
इस लेख में हम जानेंगे मंकीपॉक्स क्या है, इसके लक्षण क्या होते हैं, यह कैसे फैलता है, इसके प्रमुख कारण क्या हैं, और सबसे अहम – मंकीपॉक्स से बचाव और घरेलू उपचार कौन-कौन से हो सकते हैं
मंकीपॉक्स वायरस क्या है?
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो Orthopoxvirus जीनस के अंतर्गत आता है, वही जीनस जिसमें चेचक (Smallpox) का वायरस भी आता है। इस बीमारी की शुरुआत 1958 में अफ्रीका के कुछ बंदरों में हुई थी, इसलिए इसका नाम "Monkeypox" पड़ा। हालांकि यह बीमारी इंसानों में भी फैलती है और कई बार इसके लक्षण चेचक से मिलते-जुलते होते हैं।
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
मंकीपॉक्स वायरस जानवरों से इंसानों और फिर इंसानों से इंसानों में फैल सकता है। इसका संक्रमण निम्नलिखित तरीकों से हो सकता है:
1. संक्रमित जानवरों से संपर्क: खासकर चूहे, बंदर या अन्य जंगली जानवर जो इस वायरस के वाहक होते हैं।
2. त्वचा के संपर्क से: संक्रमित व्यक्ति की त्वचा पर मौजूद घावों, पपड़ी या दाने के सीधे संपर्क से।
3. ड्रॉपलेट संक्रमण: खांसने या छींकने से निकले वायरस युक्त सूक्ष्म कणों से।
4. संक्रमित कपड़े या बिस्तर के उपयोग से।
मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर संक्रमण के 5 से 21 दिन बाद दिखते हैं। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
1. बुखार (102°F या अधिक)
2. सिरदर्द
3. मांसपेशियों में दर्द
4. थकावट
5. ठंड लगना
6. पीठ दर्द
7. गले में खराश
8. सूजी हुई लिम्फ नोड्स (lymphadenopathy)
9. चेहरे, हाथ, पैर और शरीर के अन्य हिस्सों पर चकत्ते या दाने
10. दाने फुंसी और पपड़ी में बदल जाते हैं, जो कुछ हफ्तों में सूखकर गिर जाते हैं
ध्यान देने वाली बात यह है कि मंकीपॉक्स में लिम्फ नोड्स में सूजन होती है, जो इसे चेचक से अलग बनाती है।
मंकीपॉक्स के कारण
मकीपॉक्स वायरस फैलने के कई कारण होते हैं:
जंगली जानवरों से निकट संपर्क (खासकर अफ्रीका के क्षेत्रों में)
अनहाइजीनिक वातावरण
कमजोर इम्यून सिस्टम
अनसुरक्षित यौन संपर्क
क्रमित व्यक्ति के नजदीकी संपर्क में आना
स्वास्थ्य सुरक्षा के नियमों की अनदेख
मंकीपॉक्स की जाँच कैसे होती है?
यदि किसी व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखते हैं, तो उसे तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित जाँच करते हैं:
त्वचा से दाने का सैंपल लेना
ब्लड टेस्
PCR टेस्ट (Virus की पुष्टि के लिए)
मंकीपॉक्स का उपचार
मंकीपॉक्स का कोई विशेष एंटीवायरल इलाज नहीं है, लेकिन कुछ एंटीवायरल दवाएं जैसे Tecovirimat (TPOXX) की अनुमति दी गई है। ज्यादातर मामलों में यह बीमारी कुछ हफ्तों में खुद ही ठीक हो जाती है। मरीज को आराम देना, बुखार को नियंत्रित करना और त्वचा की देखभाल करना सबसे जरूरी होता है।
मंकीपॉक्स के घरेलू उपचार (Home Remedies for Mankypox)
हालांकि मंकीपॉक्स का इलाज डॉक्टर की सलाह से ही होना चाहिए, लेकिन कुछ घरेलू उपाय हैं जो लक्षणों को कम करने और रोगी को आराम देने में मदद कर सकते हैं:
1. नीम के पत्तों का प्रयोग
नीम एक प्राकृतिक एंटीसेप्टिक होता है। नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी से स्नान करने पर दानों में राहत मिलती है।
2. हल्दी और शहद
हल्दी में एंटीवायरल और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। एक चम्मच हल्दी में शहद मिलाकर सेवन करने से इम्यूनिटी बढ़ती है।
3. तुलसी का काढ़ा
तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर पीने से सर्दी-जुकाम और बुखार में राहत मिलती है। यह शरीर को भीतर से साफ करता है।
4. गिलोय का रस
गिलोय रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। इसका रस सुबह-शाम सेवन करने से शरीर जल्दी स्वस्थ होता है।
5. एलोवेरा जेल
त्वचा पर हो रही जलन और खुजली को कम करने के लिए एलोवेरा जेल बहुत उपयोगी है। इसे सीधे दानों पर लगाया जा सकता है।
6. ओटमील बाथ
ओटमील बाथ स्किन की जलन और खुजली को कम करता है। गर्म पानी में ओटमील मिलाकर स्नान करें।
7. ठंडे पानी की पट्टियां
बुखार और शरीर की गर्मी कम करने के लिए माथे पर ठंडी पट्टी रखें।
मंकीपॉक्स से बचाव के उपाय
1. संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखें।
2. हाथों को बार-बार साबुन से धोएं या सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
3. भीड़भाड़ वाली जगहों में मास्क पहनें।
4. संक्रमित वस्त्रों और बिस्तर से दूरी बनाएं।
5. स्वस्थ आहार लें और इम्यून सिस्टम मजबूत बनाएं।
6. जानवरों से सीधे संपर्क से बचें, खासकर अफ्रीकी जंगली जानवरों से।
निष्कर्ष
मंकीपॉक्स एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। जागरूकता, साफ-सफाई, सतर्कता और समय पर इलाज से इससे बचा जा सकता है। घरेलू उपायों से शरीर को अंदर से मजबूत बनाया जा सकता है, लेकिन किसी भी स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है।
स्वस्थ रहिए, सतर्क रहिए।

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